Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Apr 2024 · 2 min read

आया बसन्त आनन्द भरा

सारे प्राणी के मन को , मथने लगा अनंग ।
आया बसन्त आनन्द भरा , मन में बहुत तरंग ।।

पंच सर गहे निज हाथों में , शोषण-स्तंभन नाम ।
तापन – मोहन-उन्मादन है , करते मिलकर काम ।

मारे जिनको कामदेव है , पीड़ित होता अंग ।
आया बसन्त आनन्द भरा , मन में बहुत तरंग ।।

लेकर कर में पंच पुष्प का , जिनको मारें तीर ।
हो जाते तब अधीर प्राणी , योगी-मुनि- मतिधीर ।।

देवाधिदेव महादेव का , ध्यान हुआ था भंग ।
आया बसन्त आनन्द भरा , मन मेंं बहुत तरंग ।।

होते मनोज पंच पुष्पधर , नवमल्लिका-अशोक ।
आम्र-कमल-नीलोत्पल देते , मन में वियोग शोक ।।

जिनपर इनका प्रहार करते , चढ़ता उसपर रंग ।
आया बसन्त आनन्द भरा , मन में बहुत तरंग ।।

पंच सर सहित पंच पुष्प है , मारे यदि रतिनाथ ।
चाहत बाढ़े प्रीत मिलन की , उमंग – तरंग साथ ।।

प्रकृति तक मनोहारी लगती , बसन्त ऋतु के संग ।
आया बसन्त आनन्द भरा , मन में बहुत तरंग ।।

माथे शोभित बौर मुकुट-सा , वर बन खड़ा रसाल ।
ढाक सजा है दुल्हन जैसे , साड़ी – चुनरी लाल ।।

सोह वनस्पति पुष्पित सारी , प्रसून रंगविरंग ।
आया बसन्त आनन्द भरा , मन में बहुत तरंग ।

खेतों में पीत पुष्प सरसों , नीली अलसी भ्रात ।
गेहूँ की बाली लगती है , ज्यों रोमांचित गात ।।

नवयौवना धरा लगती है , सबके हृदय उमंग ।
आया बसन्त आनन्द भरा , मन में बहुत तरंग ।।

खग-मृग प्राणी आनन्दित हैं , ठण्ड – ताप में मेल ।
आह्लादित ‘ठाकुर’ सब होते , बसन्त ऋतु का खेल ।।

करते कमाल कामदेव हैं , प्राणी ढूँढ़ें संग ।
आया बसन्त आनन्द भरा , मन में बहुत तरंग ।।

149 Views

You may also like these posts

हमारी संस्कृति
हमारी संस्कृति
indu parashar
शीर्षक - नागपंचमी....... एक प्रथा
शीर्षक - नागपंचमी....... एक प्रथा
Neeraj Agarwal
बात हद  से बढ़ानी नहीं चाहिए
बात हद से बढ़ानी नहीं चाहिए
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
कितना और बदलूं खुद को
कितना और बदलूं खुद को
इंजी. संजय श्रीवास्तव
घर एक मंदिर🌷🙏
घर एक मंदिर🌷🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
हार का प्रमुख कारण मन का शरीर से कनेक्शन टूट जाना है।
हार का प्रमुख कारण मन का शरीर से कनेक्शन टूट जाना है।
Rj Anand Prajapati
क्या मुकद्दर बनाकर तूने ज़मीं पर उतारा है।
क्या मुकद्दर बनाकर तूने ज़मीं पर उतारा है।
Phool gufran
नसीबों का खेल है प्यार
नसीबों का खेल है प्यार
Shekhar Chandra Mitra
'भारत के लाल'
'भारत के लाल'
Godambari Negi
कुंडलियां
कुंडलियां
seema sharma
4684.*पूर्णिका*
4684.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
समुद्र से गहरे एहसास होते हैं
समुद्र से गहरे एहसास होते हैं
Harminder Kaur
अपनों से वक्त
अपनों से वक्त
Dr.sima
सती सुलोचना
सती सुलोचना
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
*आई भादों अष्टमी, कृष्ण पक्ष की रात (कुंडलिया)*
*आई भादों अष्टमी, कृष्ण पक्ष की रात (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
कुपमंडुक
कुपमंडुक
Rajeev Dutta
स्वभाव
स्वभाव
अखिलेश 'अखिल'
कितने अकेले हो गए हैं हम साथ रह कर
कितने अकेले हो गए हैं हम साथ रह कर
Saumyakashi
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
😊आज श्रम दिवस पर😊
😊आज श्रम दिवस पर😊
*प्रणय*
🌹🌻🌹🌻🌹🌻🌹
🌹🌻🌹🌻🌹🌻🌹
Dr .Shweta sood 'Madhu'
खुशामद की राह छोड़कर,
खुशामद की राह छोड़कर,
Ajit Kumar "Karn"
तराना
तराना
Mamta Rani
बचपन का किस्सा
बचपन का किस्सा
Shutisha Rajput
त्योहारी मौसम
त्योहारी मौसम
Sudhir srivastava
मित्र का प्यार
मित्र का प्यार
Rambali Mishra
ठाट-बाट
ठाट-बाट
surenderpal vaidya
दिल के फ़साने -ग़ज़ल
दिल के फ़साने -ग़ज़ल
Dr Mukesh 'Aseemit'
कोई विरला ही बुद्ध बनता है
कोई विरला ही बुद्ध बनता है
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी "
"कभी-कभी"
Dr. Kishan tandon kranti
Loading...