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21 Feb 2019 · 1 min read

आया नवल बसंत

गीत
सखी री आया नवल बसंत।
हुए हैं सुरभित सभी दिगंत।।

सजीले दिखते हैं तरु गात।
बढ़ाते शोभा उनकी पात।
छटा यह रहे वर्ष पर्यंत।
सखी री आया नवल बसंत।।

भ्रमर सब दिखा रहे अनुराग।
चाह है कर लें पान पराग।
चतुर्दिक पुष्पित सुमन अनंत।
सखी री आया नवल बसंत।।

बजे हैं चहुँ दिशि ढोल मृदंग।
धरा का दिखता अद्भुत रंग।
रूप तो उसका लगे महंत।
सखी री आया नवल बसंत।।

बहे नित शीतल मंद समीर।
हुआ मन उत्सुक और अधीर।
कहाँ हो आओ प्यारे कंत।
सखी री आया नवल बसंत।।

चलाए मदन चाप शर तान।
करे है हिय को नित संधान।
नहीं है दुख का कोई अंत।
सखी री आया नवल बसंत।।

चमू ले आया है मधुमास।
सताता करता है परिहास।
यही है मुद्दा आज ज्वलंत।
सखी री आया नवल बसंत।।
डाॅ बिपिन पाण्डेय

Language: Hindi
Tag: गीत
448 Views
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