आया ऋतु राज बसन्त
बसंत श्रतु का हुआ आगाज
नभ से धरा तक फैला प्रकाश।
जग मे छायी शोभा अनन्त
आया ऋतुराज बसन्त।
ओस की चादर सिमटी अब
भानु रश्मि पग पसार रही।
हर घर बसंत फुहार उठी
आया बसंत ऋतु का त्यौहार ।
प्रकृति सज रही कर श्रंगार
पीत वसन हरी चुनर ओढ़ कर ।
पुष्प कलियां कर रहे श्रंगार
चहुं ओर सुगन्धित बयार।
मधुकर कर गुजार रहे
तितली बैठी पंख पसार।
पुष्प भी आज खिल उठे
कोयल सुनाती मधुर गान ।
श्वेत वसन कर कमल पुस्तक माला
हंस विराजित वीणा वादिनि का दिन आज।
हल्दी केसर पुष्प अर्पित करें हम
अज्ञान से तार कर भर देती ज्ञान प्रकाश ।
आया बसंत ऋतु राज बसन्त
सब मन हर्षित मधुरिम परिवेश।
जग में छायी शोभा अनन्त
आया बसंत श्रतुराज बसंत।