आम की टोकरी
****आम की टोकरी****
***** बाल कविता *****
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टोकरी में रख मीठे आम,
गुड़िया बांटती है बिन दाम।
रसदार बहुत मधु से मीठे,
सुच्चे हैं ना बिल्कुल जूठे।
चाचा , ताया , रामू भाई,
नन्ही परी रसाल है लाई।
चलती की बजती है पायल,
जो खाता वो होता कायल।
कब हो जाती प्रात से शाम,
थोड़ा सा करती न आराम।
आम्र की गुठली है छोटी,
गूदा रसीली बहुत मोटी।
आम के मिलते जाते आम,
गुठलियों के भी मिलते दाम।
चुन्नू , मुन्नू , मुनिया आओ,
मनसीरत संग आम खाओ।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)