आभासी दुनियाँ
ये सच है….
तुम हो….
मुझमें कहीं…
यथार्थ से ,
आभासी दुनियाँ का द्वंद
झेला है मैंने….
लगातार कितने दिनों
उलझते प्रश्नों का बोझ
उद्वेलित करता रहा मुझे।
ना जाने कितने दिन
कितनी ही रातों में….
तुमको,खुद में
टटोला है मैंने।
निधि मुकेश भार्गव