Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 May 2023 · 1 min read

‘आभार’ हिन्दी ग़ज़ल

उसका हर रँग, हरेक रूप, सुहाना सा लगे,
दिल मिरा उसका ही, हर चन्द, दिवाना सा लगे।

लजा के चाँँद, मेघ मेँ है, जा छुपा फिर से,
उसका लावण्य तो, यौवन का ख़ज़ाना सा लगे।

बिछा रहा हूँ, पलक-पाँवड़े, तन्मयता से,
उर मिरा अब तो बस, उसका ही, ठिकाना सा लगे।

हिलें अधर जो, हो पुष्पों की ही, वर्षा प्रतिपल,
सुरभि पवन की, उसका क़र्ज़, चुकाना सा लगे।

तितलियोँ को भी, ईर्ष्या है, नृत्य से उसके,
उनका हर भाव अब, आभार जताना सा लगे।

झलक है प्यार की, दिखने सी लगी आँखों मेँ,
उसका इनकार भी अब, मुझको बहाना सा लगे।

शब्द रीते हुए, वर्णन भी अब करूँ कैसे,
उसको देखूँ, तो हरेक गीत, पुराना सा लगे।

दीप “आशा” के, जल उठे हैं, निराशा मेँ भी,
ओज, साहस भी अब तो, मेरा, घराना सा लगे..!

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 888 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
View all

You may also like these posts

आज
आज
सिद्धार्थ गोरखपुरी
वृंदावन की कुंज गलियां 💐
वृंदावन की कुंज गलियां 💐
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
लथ -पथ है बदन तो क्या?
लथ -पथ है बदन तो क्या?
Ghanshyam Poddar
नव वर्ष हमारे आए हैं
नव वर्ष हमारे आए हैं
Er.Navaneet R Shandily
3815.💐 *पूर्णिका* 💐
3815.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
उसने कहा,
उसने कहा, "क्या हुआ हम दूर हैं तो,?
Kanchan Alok Malu
*ज़िंदगी का सफर*
*ज़िंदगी का सफर*
sudhir kumar
डूब गए    ...
डूब गए ...
sushil sarna
अच्छी नहीं
अच्छी नहीं
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
दिल की प्यारी
दिल की प्यारी
जय लगन कुमार हैप्पी
संकल्प
संकल्प
Shyam Sundar Subramanian
नवम दिवस सिद्धिधात्री,
नवम दिवस सिद्धिधात्री,
Neelam Sharma
कर्म कांड से बचते बचाते.
कर्म कांड से बचते बचाते.
Mahender Singh
इतनी खुबसुरत हो तुम
इतनी खुबसुरत हो तुम
Diwakar Mahto
"मुफलिसी"
Dr. Kishan tandon kranti
मन में संदिग्ध हो
मन में संदिग्ध हो
Rituraj shivem verma
कुछ ना करके देखना
कुछ ना करके देखना
Shweta Soni
वर्ण पिरामिड
वर्ण पिरामिड
Rambali Mishra
लिप्सा-स्वारथ-द्वेष में, गिरे कहाँ तक लोग !
लिप्सा-स्वारथ-द्वेष में, गिरे कहाँ तक लोग !
डॉ.सीमा अग्रवाल
*ठगने वाले रोजाना ही, कुछ तरकीब चलाते हैं (हिंदी गजल)*
*ठगने वाले रोजाना ही, कुछ तरकीब चलाते हैं (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
बेफिक्र तेरे पहलू पे उतर आया हूं मैं, अब तेरी मर्जी....
बेफिक्र तेरे पहलू पे उतर आया हूं मैं, अब तेरी मर्जी....
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
क्या ?
क्या ?
Dinesh Kumar Gangwar
ज्ञान /बोध मुक्तक
ज्ञान /बोध मुक्तक
अटल मुरादाबादी(ओज व व्यंग्य )
तुम दरिया हो पार लगाओ
तुम दरिया हो पार लगाओ
दीपक झा रुद्रा
■हरियाणा■
■हरियाणा■
*प्रणय*
मुझे अपनी दुल्हन तुम्हें नहीं बनाना है
मुझे अपनी दुल्हन तुम्हें नहीं बनाना है
gurudeenverma198
माता वीणा वादिनी
माता वीणा वादिनी
अवध किशोर 'अवधू'
थार का सैनिक
थार का सैनिक
Rajdeep Singh Inda
एक ऐसा दोस्त
एक ऐसा दोस्त
Vandna Thakur
परिसर खेल का हो या दिल का,
परिसर खेल का हो या दिल का,
पूर्वार्थ
Loading...