आप
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आप ही आराधना हो आप ही हो साधना।
छोड़ कर रब को करूँ बस आप से ही प्रार्थना।।
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प्यार बेहद मुझसे ही कब तक करोगे साजना।
दिल की ज़िद है अब तो खुलकर हो हमारा सामना।।
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जब तलक जीवन रहेगा प्यार मैं करता रहूँ।
नाम तेरा हो जुबा पर बस यही इक़ कामना।।
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खो न जाऊं फिर बिछड़ के मतलबी संसार मे
मुझको अब अपना बनाले हाथ मेरा थामना।।
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रोम में तुम बस रहे हो खो नहीं सकते कभी।
हर जन्म में साथ हो तुम है यही शुभकामना।।
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इक तुम्हारे प्यार के अब कुछ मुझे भाता नही।
क्या कहें एक दूजे से हम एक सी है भावना।।
ज्योति श्रीवास्तव