आप तो बेवफा निकले
क्या सोचा था और क्या निकले
अजी आप तो बेवफा निकले
बहम की दीवार गिरा दी जाए
शायद यहीं कोई रास्ता निकले
ला इलाज मर्ज बढ़ता जा रहा है
देखो कब तक कोई दवा निकले
मेरी हर आरजू पूरी हो जाएगी
आपके लबों से अगर दुआ निकले
उसकी मुस्कुराहट का सबब न पूछो
हो सकता है वो गमजदा निकले
तुझे देख के बढ़ती है मेरी धड़कने
शायद तुझ से कोई रिश्ता निकले
हमने तो इश्क़ कर है लिया है “अर्श”
अंजाम चाहे अच्छा या बुरा निकले