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6 Sep 2023 · 1 min read

आपदा से सहमा आदमी

चंद दिनों की सुर्खियां
नहीं बनना चाहता हूं मैं
किसी पहाड़ के मलवे में
नहीं दबना चाहता हूं मैं

हरगिज़ ये नहीं चाहता
आपदा की भेंट चढ़ जाऊँ मैं
फिर रात के अंधेरे में
बुलडोज़र से ढूंढ़ा जाऊँ मैं

फ़ेसबुक की वॉल पर
कोई श्रद्धांजलि दे, नहीं चाहता हूँ मैं
अच्छा आदमी था, बुरा हुआ इसके साथ
कोई मेरे लिए कहे, नहीं चाहता हूँ मैं

जब घरवाले मेरा इंतज़ार करें
चाहता हूँ उनका इंतज़ार ख़त्म करूँ मैं
काश ये बादल अब न फटें
नहीं चाहता मिट्टी में दबकर मरूँ मैं

बनाया है आशियाना पाई पाई जोड़कर
वो पलभर में मलवा बने, नहीं चाहता हूँ मैं
बहुत हो गई बरसात इस बरस अब
थम जाए ये बारिश अब, यही चाहता हूँ मैं

वैध तरीक़े से ही मज़बूत घर बनाएँ हम
जिसमें जल निकासी का प्रबंध हो, यही चाहता हूँ मैं
सार्वजनिक स्थलों पर हो उचित जल निकासी व्यवस्था
बस, न जाए कोई जान यही चाहता हूँ मैं।

9 Likes · 3 Comments · 2678 Views
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