आपको देखकर _दिल को ऐसा लगा
आपको देखकर _दिल को ऐसा लगा
सारी दुनिया की हमको खुशी मिल गई
आप सा न कही हमने_ देखा कभी
चांद की_ चांदनी रात को खिल गई
पास आओ _जरा _दूर जाओ न तुम
अपनी नजरे चुराकर_ सताओ न तुम
तुम ही हो मेरी जीवन की सब मन्नतें
हमको थोड़ा हंसाकर रुलाओ न तुम
कृष्णकांत गुर्जर