आपकी ही चाहत है
मन व्याकुल है मेरा
आत्मा उदास है
तसल्ली बस इतनी है मुरलीधर
सिर्फ आपकी ही चाहत है
न ही कुछ चाहिये न ही कुछ आस है
और मेरे कर्म मेरे साथ है
उम्मीद बस इतनी है गिरधर
सिर्फ आपकी ही चाहत है
ज़िंदगी कट रही है इस कदर
अब न कोई इच्छा है
भरोसा बस इतना है तारणहार
सिर्फ आपकी ही इबादत है