आनन्द
आनन्द
भगवान की संसार में ,
आनंद ही आनंद है।
किसी को ज्यादा सोने में,
मेहनत के बीज बोने में,
किसी को रोने धोने में,
आनंद ही आनंद है।
किसी को विदेश जाने में,
किसी को गाने -बजाने में,
किसी को मंदिर जाने में,
किसी को ठेके -ठाणे में,
आनंद ही आनंद है।
किसी को फूल बहार में,
किसी को बैठ बाजार में,
किसी को मोह -पाश में,
किसी को जुआ -ताश में,
आनंद ही आनंद है।
किसी को चोरी- चपारी में,
किसी को चुगली- खोरी में,
किसी को दया- धर्म में,
किसी को सीनाजोरी में
आनंद ही आनंद है।
किसी को मोटर कार में
किसी को मौज व्यापार में,
इसी को प्यार तकरार में,
किसी को घर परिवार में,
आनंद ही आनंद है।
किसी को अपनी बड़ाई में,
किसी को कसीदा- कढ़ाई में,
किसी को मीठा -खटाई में,
किसी को खूब लड़ाई में,
आनंद ही आनंद है।
ललिता कश्यप गांव सायर जिला बिलासपुर हिमाचल प्रदेश