आनंद
मृत्यु का हो जिसे भय,
जीवन का आनंद वह कैसे ले। जीने की जिसे अधिक हो चाहा, वह अपने लिए जिए।
दोनों में जो संतुलन कर रखें,
वह जीवन का आनंद लें।
प्रथम डर से मदद दान पुण्य पूजा करें,
दूजा मदद दान पुण्य पूजा से बचें। तीजा शकुन आनंद के लिए,
मदद दान पुण्य पूजा करें।
जग में कोई नहीं ऐसा,
जो जीवन का आनंद लेने का यत्न ना करें।
परंतु जीवन मरण के जाल से बचने का कोई प्रयत्न ना करें।
बस सब जीवन का आनंद पाने का प्रतिदिन हर क्षण जतन करें, चाहे दूजा कोई मरे या जिए।
जब सब प्राणी परमात्मा से मिले, तो मोक्ष प्राप्ति वाला ही परमात्मा की पहली पसंद बने।