Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 Sep 2021 · 1 min read

आधुनिक प्रेम

आप सभी को हिन्दी दिवस की बहुत बहुत बधाई
आज हिन्दी दिवस पर एक कविता प्रेषित कर रहा हूँ-

आधुनिक प्रेम
——————
मैने बर्षो पुरानी
प्रेमिका से कहा
मै आपसे
अपरिमित
प्रेम करता हूँ
यह सुनकर
उग्र होकर
बोली
डूब मरो चुल्लू
भर पानी मे
मैने हताश
निराश होकर
प्रेमिका का
जीवन
खंगाला
मैंने सोंचा
वो मुझसे
दूर क्यों हो गई है
क्या मुझे छोड़
किसी और की हो गई है|
मै उसकी झील
जैसी आंखों
लहलहाती फसलों
की भांति
काले केशों
को अमूल्य
निधि समझकर
श्रंगार की कविता
लिखकर
कभी कभी
कविता को
कविता भेंट कर
उर के भावों को
प्रकट करता था
पुष्प समझकर
दूर से
अधखिली
पंखुड़ियों को
देखकर
स्नेह रूपी
नीर की कुछ बूंदे
उसके अंगों पर
उड़ेल कर
ग्रीष्मकाल मे
तपन से बचाता था
स्वयं को
काम की भूख से
बंचित रखकर
जलाता था |
आज से
दो दशक पहले
प्रेम
निराकार
अदृश्य
होकर भी
ईश्वरीय बरदान
मानव जाति
का अमूल्य आभूषण था|
अब प्रेम
आधुनिकता की
पगडंडियों पर
चलकर
ब्योम मे
पक्षी बनकर
उड़कर
फलों से लदे
एक पेड़ से
दूसरे पेड़ पर पहुँच कर
एक दिन खट्टे
एक दिन मीठे
एक दिन तीखे
सभी प्रकार के
फलों को
चखकर
मुस्कराकर
स्वाद ले रहा है
आधुनिक प्रेम
टेकनिकल बनकर
सच्चे प्रेम की
खिल्ली
उड़ाकर
पल रहा है
और
सच्चा प्रेम
दीनों की भांति
दोनों हाथ फैलाये
गिड़गिड़ाकर
लड़खड़ाकर
दो चार कदम
चलकर
भीख मांग रहा है|
रमेश त्रिवेदी
कवि एवं कहानीकार

Language: Hindi
457 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
अपना घर फूंकने वाला शायर
अपना घर फूंकने वाला शायर
Shekhar Chandra Mitra
फैलाकर खुशबू दुनिया से जाने के लिए
फैलाकर खुशबू दुनिया से जाने के लिए
कवि दीपक बवेजा
होली -रमजान ,दीवाली
होली -रमजान ,दीवाली
DrLakshman Jha Parimal
बड़ा सुंदर समागम है, अयोध्या की रियासत में।
बड़ा सुंदर समागम है, अयोध्या की रियासत में।
जगदीश शर्मा सहज
!! मैं उसको ढूंढ रहा हूँ !!
!! मैं उसको ढूंढ रहा हूँ !!
Chunnu Lal Gupta
कोई पूछे की ग़म है क्या?
कोई पूछे की ग़म है क्या?
Ranjana Verma
23/115.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/115.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
युग परिवर्तन
युग परिवर्तन
आनन्द मिश्र
हर सुबह जन्म लेकर,रात को खत्म हो जाती हूं
हर सुबह जन्म लेकर,रात को खत्म हो जाती हूं
Pramila sultan
#अबोध_जिज्ञासा
#अबोध_जिज्ञासा
*Author प्रणय प्रभात*
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-146 के चयनित दोहे
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-146 के चयनित दोहे
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
दर्द व्यक्ति को कमजोर नहीं बल्कि मजबूत बनाती है और साथ ही मे
दर्द व्यक्ति को कमजोर नहीं बल्कि मजबूत बनाती है और साथ ही मे
Rj Anand Prajapati
तू बेखबर इतना भी ना हो
तू बेखबर इतना भी ना हो
gurudeenverma198
दोहा
दोहा
प्रीतम श्रावस्तवी
कब तक कौन रहेगा साथी
कब तक कौन रहेगा साथी
Ramswaroop Dinkar
💐प्रेम कौतुक-281💐
💐प्रेम कौतुक-281💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
कृषक
कृषक
साहिल
ग़ज़ल/नज़्म - न जाने किस क़दर भरी थी जीने की आरज़ू उसमें
ग़ज़ल/नज़्म - न जाने किस क़दर भरी थी जीने की आरज़ू उसमें
अनिल कुमार
दोहा
दोहा
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Jitendra Kumar Noor
क्या पता...... ?
क्या पता...... ?
Dr. Akhilesh Baghel "Akhil"
"धीरे-धीरे"
Dr. Kishan tandon kranti
প্রফুল্ল হৃদয় এবং হাস্যোজ্জ্বল চেহারা
প্রফুল্ল হৃদয় এবং হাস্যোজ্জ্বল চেহারা
Sakhawat Jisan
जो मेरे लफ्ज़ न समझ पाए,
जो मेरे लफ्ज़ न समझ पाए,
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
ख़्वाब सजाना नहीं है।
ख़्वाब सजाना नहीं है।
Anil "Aadarsh"
यूँ ही ऐसा ही बने रहो, बिन कहे सब कुछ कहते रहो…
यूँ ही ऐसा ही बने रहो, बिन कहे सब कुछ कहते रहो…
Anand Kumar
प्यार का यह सिलसिला चलता रहे।
प्यार का यह सिलसिला चलता रहे।
surenderpal vaidya
*गैरों से तो संबंध जुड़ा, अपनों से पर टूट गया (हिंदी गजल)*
*गैरों से तो संबंध जुड़ा, अपनों से पर टूट गया (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
SADGURU IS TRUE GUIDE…
SADGURU IS TRUE GUIDE…
Awadhesh Kumar Singh
तू दूरबीन से न कभी ढूँढ ख़ामियाँ
तू दूरबीन से न कभी ढूँढ ख़ामियाँ
Johnny Ahmed 'क़ैस'
Loading...