*आधा नभ में चंद्रमा, कहता मॉं का प्यार (कुंडलिया)*
आधा नभ में चंद्रमा, कहता मॉं का प्यार (कुंडलिया)
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आधा नभ में चंद्रमा, कहता मॉं का प्यार
प्रथा अहोई अष्टमी, घर है जग का सार
घर है जग का सार, इसी से जुड़ता नाता
घर होता परिपूर्ण, पुत्र-पुत्री जब पाता
कहते रवि कविराय, वंश को जिसने साधा
धन्य-धन्य मॉं-रूप, चंद्रमा तुमसे आधा
रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451