आधा – आधा
इन्सान, शैतान, भगवान, नहीं एक समान हैं
अलग-अलग श्रेणियांँ हैं, भिन्न-भिन्न काम हैं
शैतान बुराइयों का राजा,
भगवान अच्छाइयों का अधिष्ठाता होता है
इन्सान इन दोनों का आधा-आधा वंश होता है
गुण ईश्वर का और दुर्गुण शैतान का अंश है,
इन्सानी व्यक्तित्व के , ये अद्भुत, अभिन्न अंग हैं,
अलग हैं थोड़े से, थोड़े संग – संग हैं,
इनके प्रभाव के तो अलग अलग रंग हैं
ज़रूरत है इन दोनों, शक्तियों को साधने की,
बुराइयों को छोड़ने की, अच्छाइयों को उभारने की
विचार अगर अपना ऐसा ही रखते हैं
नित्यप्रति आगे और आगे ही बढ़ते हैं,
बाधाएं जीतते हैं, आपदा को टालते हैं,
सफलता के रास्ते खुलते चले जाते हैं,
कोई भी काम हो, कठिन या आसान हो
करने से आप कभी चूकने ना पायेंगे,
सागर को लाँघते, पहाड़ चढ़ जायेंगे,
रह कर इन्सान ही, देवत्व पायेंगे
सारे संसार में प्रसिद्धि हो जायेंगे.