आदर्श पिता
हर व्यक्ति जीवन में अपने एक,ऐसा अनमोल सा नायक पाता है।
हर कठिनाई का समाधान जो,सरलता से हमको उपलब्ध कराता है।।
जिंदगी की इस कठिन धूप में,जो मेरा कल्पवृक्ष बन जाता है।
जीवन की हर सुविधा मुझको,वो ही तो उपलब्ध करवाता है।।
जोड़ के अपना तिनका तिनका,वो हमको पक्की छत दे पाता है।
खुद का जीवन लगा दांव पर,वही तो हमारा भविष्य बनाता है।।
मेरी हर परेशानी में बढ़कर जो,हमेशा मेरा हौंसला बढ़ाता है।
जब तक दूर न हो परेशानी तबतक,ठीक से सो भी नहीं वो पाता है।।
हमारे भविष्य के कारण जो हमारे,विश्वासन सीढ़ी बन जाता है।
ना कोई गिला ना कोई शिकवा,हर कठिनाई खुद की पीठ पे वो ले जाता है।।
परिवार की खातिर जो हर मुश्किल,जो हँस हँस कर सह जाता है।
शिक्षा और संस्कार सिखा कर,जो हमारा भविष्य बनाता है।
हर परिवार का मध्य बिंदु वही है,और आदर्श पिता वही कहलाता है।।
कहे विजय बिजनौरी सुख से जग में,वही परिवार रह पाता है।
जिस परिवार में पिता हर संभव,कर्तव्य ये सारे जीवन भर ही निभाता है।।
विजय कुमार अग्रवाल
विजय बिजनौरी