आदमी कुछ अलग से हैं
यहाँ हर आदमी कहता हम आदमी कुछ अलग से हैं
सब जैसे नहीं हैं हम आदमी कुछ अलग से हैं
कुछ अलग सा टकरा गया तो घबरा से जाते हैं
अहम को चोट लगती है तिलमिला से जाते हैं
अलग किस्म के इंसा अलग मिट्टी के होते हैं
रोने वाली बातो में हँसते हैं हसने वाली पे रोते हैं
उनके सौदे दिखने मे अक्सर घाटे के होते हैं
हारकर मैदा में बाजी वो दिलों को जीते होते हैं
ये दोस्ती मोहब्बत पे हर समझौता कर लेते हैं
जुबा गर दे दिया तो खुद का भी सौदा कर देते है
किसी भी हाल पे वसूलों को शर्मिंदा नहीं करते
जमीर जिंदा रखते हैं कभी मेयार से नहीं गिरते
अरे नादानों अलग बनने मे खुद से लड़ना पड़ता है
रश्मो रिवाज दौलत शोहरत ताक पे रखना पड़ता है
सुनो बाहोश लोगों तुम ये लड़कपन कर नही सकते
दिवानगी की हद से सौदागरी शीशे की कर नहीं सकते
स्वरचित मौलिक रचना
M.Tiwari”Ayan”