आदमी की फितरत
भावना में बह जाता है जब आदमी।
दिल की बात कहता है तब आदमी।।
परख लेता है जब किसी को भी आदमी।
दिल में बसा लेता या बस जाता आदमी।।
मनमुटाव पर कहता कुछ नही आदमी।
दूर हो जाता है जो पास होता आदमी।।
पढ़ लेता है जब किताब कोई आदमी।
अच्छी चीजे ग्रहण कर लेता है आदमी।।
दर्द महसूस करता है जब कभी आदमी।
आंसुओ में बह जाता दर्द के साथ आदमी।।
हर रिश्ता निभाता है एक सज्जन आदमी।
पिता पति बेटा भाई चाचा है एक आदमी।।
धोखा दे रहा है आज आदमी को आदमी।
रस्तोगी और क्या लिखे वह भी एक आदमी।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम