Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Jan 2024 · 1 min read

आदमी और मच्छर

मुझे ~
आदमी और मच्छर में,
कोई फर्क नजर नहीं आता है,
क्योंकि ~
दोनों ही खून पसन्द करते हैं।

लेकिन नैतिकता की दृष्टि से,
देखा जाए तो,
दोनों में मच्छर ही श्रेष्ठ है,
क्योंकि ~
मच्छर हमेशा आदमी का,
खून चूसता है,
वह कभी किसी मच्छर को,
नहीं काटता है।

जबकि ~
आदमी हमेशा आदमी का,
खून चूसता है; और
आदमी की ही जड़ें काटता है।

रचनाकार – कंचन खन्ना, मुरादाबाद,
(उ०प्र०, भारत) ।
सर्वाधिकार, सुरक्षित (रचनाकार) ।
वर्ष – २०१३.

Language: Hindi
103 Views
Books from Kanchan Khanna
View all

You may also like these posts

तिलिस्म
तिलिस्म
Dr. Rajeev Jain
An eyeopening revolutionary poem )क्यूँ दी कुर्बानी?)
An eyeopening revolutionary poem )क्यूँ दी कुर्बानी?)
komalagrawal750
विडंबना
विडंबना
श्याम सांवरा
🙅अचरज काहे का...?
🙅अचरज काहे का...?
*प्रणय*
मनुवा तेरे
मनुवा तेरे
Santosh kumar Miri
dr arun kumar shastri
dr arun kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
उज्जर
उज्जर
सिद्धार्थ गोरखपुरी
सुरक्षित सभी को चलने दो
सुरक्षित सभी को चलने दो
Ghanshyam Poddar
हिंदी हमारी मातृभाषा --
हिंदी हमारी मातृभाषा --
Seema Garg
बात मन की
बात मन की
कार्तिक नितिन शर्मा
चंद मुक्तक- छंद ताटंक...
चंद मुक्तक- छंद ताटंक...
डॉ.सीमा अग्रवाल
जादू  था या जलजला, या फिर कोई ख्वाब ।
जादू था या जलजला, या फिर कोई ख्वाब ।
sushil sarna
राधा रानी
राधा रानी
Mamta Rani
बस तुम लौट आओ...
बस तुम लौट आओ...
Harshit Nailwal
एक उम्मीद थी तुम से,
एक उम्मीद थी तुम से,
लक्ष्मी सिंह
देर लगेगी
देर लगेगी
भगवती पारीक 'मनु'
23/19.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/19.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
शाम हो गई है अब हम क्या करें...
शाम हो गई है अब हम क्या करें...
राहुल रायकवार जज़्बाती
कैसा क़हर है क़ुदरत
कैसा क़हर है क़ुदरत
Atul "Krishn"
बेशक प्यार उनसे बेपनाह था
बेशक प्यार उनसे बेपनाह था
Rituraj shivem verma
मौन
मौन
Shweta Soni
तुम नफरत करो
तुम नफरत करो
Harminder Kaur
बातों की कोई उम्र नहीं होती
बातों की कोई उम्र नहीं होती
Meera Thakur
नहीं जानता क्या रिश्ता है
नहीं जानता क्या रिश्ता है
हिमांशु Kulshrestha
प्रतिभा का कितना अपमान
प्रतिभा का कितना अपमान
Acharya Shilak Ram
*होता है पिता हिमालय-सा, सागर की गहराई वाला (राधेश्यामी छंद)
*होता है पिता हिमालय-सा, सागर की गहराई वाला (राधेश्यामी छंद)
Ravi Prakash
" तेरी चिट्ठी "
Dr. Kishan tandon kranti
11-🌸-उम्मीद 🌸
11-🌸-उम्मीद 🌸
Mahima shukla
माँ
माँ
Usha Gupta
शहर की बस्तियों में घोर सन्नाटा होता है,
शहर की बस्तियों में घोर सन्नाटा होता है,
Abhishek Soni
Loading...