आदमी और धर्म / मुसाफ़िर बैठा
आदमी का उगाया धर्म
ज्यों ज्यों बेडौल बढ़ता गया
आदमी का अपना कद
त्यों त्यों घटता गया
धर्म आदमी का मस्तिष्क
हर कर बढ़ता है
और आदमी है कि
धर्म के विष से चट कर मरता है।
आदमी का उगाया धर्म
ज्यों ज्यों बेडौल बढ़ता गया
आदमी का अपना कद
त्यों त्यों घटता गया
धर्म आदमी का मस्तिष्क
हर कर बढ़ता है
और आदमी है कि
धर्म के विष से चट कर मरता है।