** आदत **
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आदत नहीं है मेरी किसी को धोखा दूं
विश्वास नहीं होता है
अब किसी को मुझ पर
मैं चाहता हूं उसे एक और मौका दूं
उसे आदत पड़ गई मौकों की
क्या हर वाइड बॉल पर चौका दूं
ए मेरे खुदा कितना रूलाएगा मुझे
मुझे रोने की आदत नहीं है
क्या आदत बनाएगा इसे
माना के मैं हंसता नहीं था
इसके बदले इतना रुलाएगा मुझे
किस्मत थी मेरी के मैं रोता रहा
तकदीर से मिला जो
उसे भी मैं खोता रहा
सोना था रात को
और मैं दिन में भी सोता रहा
एक दिन होगा तुझको यकीन
क्या था तेरे नसीब में
क्या खोया था तूने
और क्या पाया है तूने
अब क्या बचा तेरे पास
और क्या बचा मेरे हाथ में
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Swami ganganiya