“आदत”
“आदत”
कोई कर भी क्या लेगा उस हाल में,
गर बेवफाई की आदत उसके खून में है।
सारे उसूल कब के बदल चुके यारों,
सारी सत्ता तेज दाँत और नाखून में है।
“आदत”
कोई कर भी क्या लेगा उस हाल में,
गर बेवफाई की आदत उसके खून में है।
सारे उसूल कब के बदल चुके यारों,
सारी सत्ता तेज दाँत और नाखून में है।