आदत है यह उसकी पुरानी।
आदत है यह उसकी पुरानी।
दोस्ती में ना है उसका सानी।।1।।
उसे आती ना है बात बनानी।
उससे करो ना तुम मन मानी।।2।।
दे दो वतन को कोई निशानी।
ना मिलती फिर यह जवानी।।3।।
उसपे है खुदा की मेहरबानी।
वह है सबके दिलों की रानी।।4।।
समझो ना उसकी ये नादानी।
कुछ तोहै उसकी भी कहानी।।5।।
जो बात ना मैंने उसकी मानी।
यूँ अश्क़ छलका बनके पानी।।6।।
देता रहा वह अपनी बेगुनाही।
पर किसी ने ना उसकी मानी।।7।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ