Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 Mar 2022 · 1 min read

आदतें

अच्छी-बुरी आदत होती
हम सबों के अभ्यंतर में
उत्तम प्रवृत्ति अपना कर,
अधम लत को करे त्याग।

अच्छी व्यसन ही हमें
ले जाती है बुलंदी पर
निकृष्ट लत हमसबों को
करती निज स्तब्ध हयात‌ ।

उम्दा – अनिष्ट प्रवृत्ति को
उत्सर्ग में ही हम सबों को
लगता कुछ दिन की वक्त
सदा अपनाये उत्तम लत।

वैज्ञानिकों को माने तो हमे
किसी भी प्रवृत्ति भुलने‌ में
इक्कीस दिवा लगता वक्त
निकृष्ट आदतों को भुलने में ।

अमरेश कुमार वर्मा
जवाहर नवोदय विद्यालय बेगूसराय, बिहार

Language: Hindi
1059 Views

You may also like these posts

दुःख है, पीड़ा है लेकिन उससे भी अधिक हम कल्पना में खोए हुए ह
दुःख है, पीड़ा है लेकिन उससे भी अधिक हम कल्पना में खोए हुए ह
Ravikesh Jha
पल पल है जिंदगी जिले आज
पल पल है जिंदगी जिले आज
Ranjeet kumar patre
3428⚘ *पूर्णिका* ⚘
3428⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
सद्विचार
सद्विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
ऑंधियों का दौर
ऑंधियों का दौर
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
वक़्त और नसीब
वक़्त और नसीब
gurudeenverma198
- शिक्षा को सबको मिले समान अधिकार -
- शिक्षा को सबको मिले समान अधिकार -
bharat gehlot
*** तस्वीर....! ***
*** तस्वीर....! ***
VEDANTA PATEL
तुम तो हमसे कमाल की मोहब्बत करते हो।
तुम तो हमसे कमाल की मोहब्बत करते हो।
लक्ष्मी सिंह
विषय-मेरा जीवनसाथी।
विषय-मेरा जीवनसाथी।
Priya princess panwar
इश्क की गलियों में
इश्क की गलियों में
Dr. Man Mohan Krishna
विधि का विधान ही विज्ञान
विधि का विधान ही विज्ञान
Anil Kumar Mishra
किसी का प्यार मिल जाए ज़ुदा दीदार मिल जाए
किसी का प्यार मिल जाए ज़ुदा दीदार मिल जाए
आर.एस. 'प्रीतम'
कहना ही है
कहना ही है
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
हम में सिर्फ यही कमी है,
हम में सिर्फ यही कमी है,
अरशद रसूल बदायूंनी
नया मोड़
नया मोड़
Shashi Mahajan
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
किसी भी व्यक्ति का व्यक्तित्व पार्टी से कही बड़ा होता है एक
किसी भी व्यक्ति का व्यक्तित्व पार्टी से कही बड़ा होता है एक
Rj Anand Prajapati
सच है, कठिनाइयां जब भी आती है,
सच है, कठिनाइयां जब भी आती है,
पूर्वार्थ
!! शेर !!
!! शेर !!
डी. के. निवातिया
कविता
कविता
Nmita Sharma
एक ख्वाब
एक ख्वाब
Ravi Maurya
सच तो बस
सच तो बस
Neeraj Agarwal
दोहे रमेश शर्मा के
दोहे रमेश शर्मा के
RAMESH SHARMA
आ जा उज्ज्वल जीवन-प्रभात।
आ जा उज्ज्वल जीवन-प्रभात।
Anil Mishra Prahari
" सीमा-रेखा "
Dr. Kishan tandon kranti
यहाँ श्रीराम लक्ष्मण को, कभी दशरथ खिलाते थे।
यहाँ श्रीराम लक्ष्मण को, कभी दशरथ खिलाते थे।
जगदीश शर्मा सहज
नौकरी न मिलने पर अपने आप को अयोग्य वह समझते हैं जिनके अंदर ख
नौकरी न मिलने पर अपने आप को अयोग्य वह समझते हैं जिनके अंदर ख
Gouri tiwari
जी रही हूँ
जी रही हूँ
Pratibha Pandey
रोजालिण्ड बनाम डेसडिमोना
रोजालिण्ड बनाम डेसडिमोना
Saraswati Bajpai
Loading...