आत्म ज्योति का दीप
आत्म ज्योति का दीप
समष्टि को आज समर्पित है
सारी दुनिया का हो मंगल
ज्योति प्रेम की अर्पित है
कोटि कोटि मानस की ज्योति
जब एक साथ जल जाए
सभी की हो शुभ दीपावली
संतोष परम पा जाए
हे जन जन के राम
प्रकटो मेरे भी मन में
क्यों सूना मेरा मन मंदिर
जब आप विराजे कण-कण में
आज धरा आतंकित है
मानवता घबराई
मार रहा है काफिर कहकर
आ जाओ रघुराई
धर्म के नाम पर आज अधर्मी
करते हैं अगुवाई
सिमट गए हैं प्रेम शांति
हिंसा ने पर फैलाए
सता रहा आतंक का रावण
यह धरती कौन बचाए
हे नाथ प्रकट हो मारो रावण
जन-जन आस लगाए
हे जन जन के राम
प्रकट हो मेरे मन में
क्यों सूंना मेरा मन मंदिर
जब आप विराजे कण-कण मैं
कोरोना के अंधकार को
दुनिया से शीघ्र मिटाओ
सुख शांति समृद्धि अमन
दुनिया को दे जाओ
सुरेश कुमार चतुर्वेदी