Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Apr 2024 · 1 min read

आत्मा की अभिलाषा

पुलिस आई। पंचनामा हुआ। किसी रिश्तेदार के नहीं मिलने के कारण पुलिस ने सलोनी के अन्तिम क्रियाकर्म की इजाजत मुक्तिवाहिनी टीम को दे दी। मृत देह श्मशान ले जाई गई।

सलोनी की आत्मा यह सब देख रही थी। वह सोच रही थी पति की बेवफाई कर बेच दिए जाने के कारण कितने लोगों ने अपवित्र किया सलोनी के उस शरीर को, जिसका कोई हिसाब नहीं। कितनी बुरी तरह उसे नोचा गया,,, उफ्फ?

मृत देह को चिता में रखकर अग्नि दे दी गई। वह धू-धू कर जलने लगी। आत्मा शरीर को यूँ जलते हुए देख रही थी। आत्मा को भी लगा कि अब बहुत हो गया यह जन्म-जन्मान्तर का चक्र, यहीं रुक जाए तो ठीक। अब नहीं करनी मुझे काया प्रवेश।

यह सोचकर सलोनी की आत्मा ने जलती हुई चिता में छलांग लगा दी, मगर यह क्या? वह तुरन्त बाहर फेंक दी गई। उसने पुनः दुगुनी ताकत से छलांग लगाई, परन्तु उसी गति से फिर बाहर फेंक दी गई। वह जितनी बार जिस गति से चिता पर छलांग लगाई, उतनी ही बार उसी गति से वह बाहर फेंक दी गई।

अन्ततः शरीर जलकर भस्म हो गया। आत्मा ने सोचा अब कहाँ जाऊँ? तब उसने ईश्वर से प्रार्थना की- हे ईश्वर ! नारी जन्म बहुत कष्टप्रद है। फिलहाल मुझे पुनर्जन्म नहीं चाहिए। थोड़े दिन तो मुझे सलोनी की मृत्यु का सुख भोग लेने दीजिए, बस यही मेरी अभिलाषा है।

(मेरी प्रकाशित कृति : दहलीज़ (दलहा, भाग-7)
लघुकथा-संग्रह से..)

डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति
हरफनमौला साहित्य लेखक।

Language: Hindi
2 Likes · 1 Comment · 26 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr. Kishan tandon kranti
View all
You may also like:
सृजन के जन्मदिन पर
सृजन के जन्मदिन पर
Satish Srijan
#लघुकथा / #न्यूज़
#लघुकथा / #न्यूज़
*Author प्रणय प्रभात*
जब जब भूलने का दिखावा किया,
जब जब भूलने का दिखावा किया,
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
मजदूर की अन्तर्व्यथा
मजदूर की अन्तर्व्यथा
Shyam Sundar Subramanian
ख्वाब हो गए हैं वो दिन
ख्वाब हो गए हैं वो दिन
shabina. Naaz
बेहतर और बेहतर होते जाए
बेहतर और बेहतर होते जाए
Vaishaligoel
नाकामयाबी
नाकामयाबी
भरत कुमार सोलंकी
हे ! गणपति महाराज
हे ! गणपति महाराज
Ram Krishan Rastogi
अजीब करामात है
अजीब करामात है
शेखर सिंह
पतझड़ से बसंत तक
पतझड़ से बसंत तक
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
// दोहा पहेली //
// दोहा पहेली //
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
खुला आसमान
खुला आसमान
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
वेलेंटाइन डे बिना विवाह के सुहागरात के समान है।
वेलेंटाइन डे बिना विवाह के सुहागरात के समान है।
Rj Anand Prajapati
* धरा पर खिलखिलाती *
* धरा पर खिलखिलाती *
surenderpal vaidya
हंसगति
हंसगति
डॉ.सीमा अग्रवाल
फितरत
फितरत
मनोज कर्ण
*दया करो हे नाथ हमें, मन निरभिमान का वर देना 【भक्ति-गीत】*
*दया करो हे नाथ हमें, मन निरभिमान का वर देना 【भक्ति-गीत】*
Ravi Prakash
बस गया भूतों का डेरा
बस गया भूतों का डेरा
Buddha Prakash
प्यार ना सही पर कुछ तो था तेरे मेरे दरमियान,
प्यार ना सही पर कुछ तो था तेरे मेरे दरमियान,
Vishal babu (vishu)
এটা আনন্দ
এটা আনন্দ
Otteri Selvakumar
मेरी शक्ति
मेरी शक्ति
Dr.Priya Soni Khare
उतना ही उठ जाता है
उतना ही उठ जाता है
Dr fauzia Naseem shad
पहला अहसास
पहला अहसास
Falendra Sahu
"खुश रहिए"
Dr. Kishan tandon kranti
भारत की देख शक्ति, दुश्मन भी अब घबराते है।
भारत की देख शक्ति, दुश्मन भी अब घबराते है।
Anil chobisa
हे आशुतोष !
हे आशुतोष !
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
सारथी
सारथी
लक्ष्मी सिंह
चिड़िया
चिड़िया
Dr. Pradeep Kumar Sharma
*औपचारिकता*
*औपचारिकता*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
*फूलों मे रह;कर क्या करना*
*फूलों मे रह;कर क्या करना*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
Loading...