आत्महत्या नहीं, क्रांति करो!
जद्दोजेहद से
मुंह मोड़ लेता है।
अपने दौर की
उम्मीद तोड़ देता है।
जीने का उसे
कोई हक़ ही नहीं
जो लड़े बिना
मैदान छोड़ देता है।
Shekhar Chandra Mitra
जद्दोजेहद से
मुंह मोड़ लेता है।
अपने दौर की
उम्मीद तोड़ देता है।
जीने का उसे
कोई हक़ ही नहीं
जो लड़े बिना
मैदान छोड़ देता है।
Shekhar Chandra Mitra