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19 Jun 2020 · 1 min read

आत्महत्या आत्मघात

आत्मघात कर मनुज एक, धरती से परलोक गया
भरी सभा में यम बोले, तुमने सबको दिया दगा
आत्मघात कर तुमने वन्दे, बड़ा घोर अपराध किया
बिना मौत के परिजन मारे, और बिलखता छोड़ दिया
हमने तुमको नर तन देकर, श्रेष्ठ योनि में जन्म दिया
पशु पक्षी भी जो नहीं करते, तुमने ऐसा काम किया
हमने तुम्हें 100 बरस दिए थे, सुंदर धरती पर जीने को
अब तुमको मैं कहां भेज दूं, शेष आयु बिताने को
जाओ अब तुम सूक्ष्म शरीर में, प्रेत बने भटकोगे
सदा अशांत अतृप्त रहोगे, रोओगे और तरसोगे
जो शरीर खोया है तुमने, उसको ही पछताओगे
इच्छा होगी भोगों की,पर उनको तुम न पाओगे
परिजन पुरजन माता पिता को, तुमने दुख पहुंचाया है
सर्वश्रेष्ठ मानव शरीर का, तुमने मान घटाया है
शेष आयु पूरी कर भी तुम, नीच योनियों में जाओगे
किए हुए आत्मघात का फल, जन्म जन्म तक पाओगे
सन्न हुई उस मनुष्य की आत्मा, यमपुरी में चीख उठी
मत करना कोई आत्मघात, धरती पर रहना सदा सुखी

Language: Hindi
11 Likes · 7 Comments · 471 Views
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