-आत्मविश्वास की
एक स्त्री थकती नहीं,
मशीन की तरह हमेशा चलती,
सुबह से शाम कोल्हू की तरह पिलती,
मां पत्नी,बहन ,बेटी सभी किरदार में,
अपनी हर जिम्मेदारी को पूरा करती,
स्त्री को देवी का दर्जा देकर
उसकी खुद की इच्छा से जीने को
खूबसूरती से वंचित किया,
स्त्री को इंसान होने का आनन्द
सब छीन लिया गया,
जरुरत है उसे भी आराम की,
अपने मन के काम की,
स्वच्छंद, भयमुक्त उड़ने की,
गहराई तक अपने आत्मविश्वास को
अपने अंतर्मन से बाहर निकालने की।
– सीमा गुप्ता