Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 Mar 2024 · 1 min read

आत्मज्ञान

कुछ तो है अंदर छुपा हुआ , जो हम अब तक जान न पाए,
खुद के अंदर झांककर ,अभी तक पहचान ना पाए,
इधर उधर ढूंढते रहे , कहां छुपा है ढूंढ न पाए,
कभी साधुओं में, कभी सत्संग में,
उसकी खोज में भटकते रहे ,
कभी आख्यानों में, कभी व्याख्यानों में ,
उसे जानने के प्रयास में उलझते रहे,
कभी शांति से एकाग्र चित्त
आत्ममंथन नहीं किया ,
बाहरी संसार में ढूंढने में व्यर्थ
अपना समय नष्ट किया,
हमारी स्थिति उस कस्तूरी मृग की
भांति सर्वदा रही,
जो अंतस्थ में बसा हुआ है, हमारी प्रकृति
उससे हमें वंचित करती रही ।

3 Likes · 110 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Shyam Sundar Subramanian
View all
You may also like:
जीवन के अंतिम दिनों में गौतम बुद्ध
जीवन के अंतिम दिनों में गौतम बुद्ध
कवि रमेशराज
सुर तेरा मेरा
सुर तेरा मेरा
DR ARUN KUMAR SHASTRI
बचपन
बचपन
Kanchan Khanna
भिनसार हो गया
भिनसार हो गया
Satish Srijan
राम नाम की जय हो
राम नाम की जय हो
Paras Nath Jha
जैसे हातों सें रेत फिसलती है ,
जैसे हातों सें रेत फिसलती है ,
Manisha Wandhare
बिरसा मुंडा
बिरसा मुंडा
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
प्रकृति में एक अदृश्य शक्ति कार्य कर रही है जो है तुम्हारी स
प्रकृति में एक अदृश्य शक्ति कार्य कर रही है जो है तुम्हारी स
Rj Anand Prajapati
2681.*पूर्णिका*
2681.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
शराब का सहारा कर लेंगे
शराब का सहारा कर लेंगे
शेखर सिंह
कहते हो इश्क़ में कुछ पाया नहीं।
कहते हो इश्क़ में कुछ पाया नहीं।
Manoj Mahato
आप ही बदल गए
आप ही बदल गए
Pratibha Pandey
"रेलगाड़ी"
Dr. Kishan tandon kranti
अपनी नज़र में
अपनी नज़र में
Dr fauzia Naseem shad
“रेल का सफ़र
“रेल का सफ़र
Neeraj kumar Soni
सुबुधि -ज्ञान हीर कर
सुबुधि -ज्ञान हीर कर
Pt. Brajesh Kumar Nayak
जिंदगी में इतना खुश रहो कि,
जिंदगी में इतना खुश रहो कि,
Ranjeet kumar patre
शीतलहर
शीतलहर
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
ज़िन्दगी चल नए सफर पर।
ज़िन्दगी चल नए सफर पर।
Taj Mohammad
तीर'गी  तू  बता  रौशनी  कौन है ।
तीर'गी तू बता रौशनी कौन है ।
Neelam Sharma
🙅आज का ज्ञान🙅
🙅आज का ज्ञान🙅
*प्रणय*
*पीला भी लो मिल गया, तरबूजों का रंग (कुंडलिया)*
*पीला भी लो मिल गया, तरबूजों का रंग (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
जब कोई शब् मेहरबाँ होती है ।
जब कोई शब् मेहरबाँ होती है ।
sushil sarna
******* मनसीरत दोहावली-1 *********
******* मनसीरत दोहावली-1 *********
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
मैं मन के शोर को
मैं मन के शोर को
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
अहम जब बढ़ने लगता🙏🙏
अहम जब बढ़ने लगता🙏🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
कायनात की हर शय खूबसूरत है ,
कायनात की हर शय खूबसूरत है ,
Neelofar Khan
पश्चातापों की वेदी पर
पश्चातापों की वेदी पर
Suryakant Dwivedi
मुक्तक – रिश्ते नाते
मुक्तक – रिश्ते नाते
Sonam Puneet Dubey
आंखों में भरी यादें है
आंखों में भरी यादें है
Rekha khichi
Loading...