ये उम्र के निशाँ नहीं दर्द की लकीरें हैं
जब बगावत से हासिल नहीं कुछ हुआ !
सफलता और असफलता के बीच आत्मछवि- रविकेश झा
जिंदगी के तराने
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
अधूरा नहीं हूँ मैं तेरे बिना
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
न रंग था न रूप था खरीददार थे मिले।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
खींच तान के बात को लम्बा करना है ।
जन्म से मृत्यु तक भारत वर्ष मे संस्कारों का मेला है
मत गमों से डर तू इनका साथ कर।
अपने अंदर करुणा रखो आवेश नहीं मेघ की वर्षा से पुष्प खिलते है