आज हम हँस पड़े
खोई सी रात पर आज हम हँस पड़े
जाने किस बात पर आज हम हँस पड़े
छायी काली घटा चाँद जब छुप गया
तनहा ज़जबात पर आज हम हँस पड़े
हमसे वो जीत कर रो रहे हैं मगर
अपनी ही मात पर आज हम हँस पड़े
जब से उनसे मुलाकात होने लगी
उनकी हर बात पर आज हम हँस पड़े
आयी जब याद उनकी हुई आँख नम
रोती बरसात पर आज हम हँस पड़े
हमको छलते रहे मज़हबी हादसे
ऐसे हालात पर आज हम हँस पड़े
ख्वाबों में तुम मिले खिलखिलाते हुये
ऐसी सौगात पर आज हम हँस पड़े
‘संजय’ को जब दिखाया गया आइना
अपनी औकात पर आज हम हँस पड़े