Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 Jan 2017 · 1 min read

आज मेरा मन डोले !

आकुल-व्याकुल आज मेरा मन , ना जाने क्यों डोले…..
विघटित भारत की वैभव को ले ले
भाषा इंकलाब की बोले
आज मेरा मन डोले !
कष्टों का चित्रण कर रहा व्यथित ह्रदय मेरा
सुदृढ दासता और बंधन की फेरा…..
उजड रही जीवों की बसेरा,
सुखद शांति की कब होगी सबेरा…..!
न्यायप्रिय शांति के रक्षक, त्वरित क्रांति को खोलें….
आज मेरा मन डोले…..!
भाषा इंकलाब की बोले…..!
वृथा ! भारत क्या यही भारत है
किस आखेट में संघर्षरत है
सतत् द्रोह बढता अनवरत है
नहीं कहीं मानवताव्रत है…?
संकुचित पीडित सीमाएँ कहती , पूर्ववत फैला ले
आज मेरा मन डोले !
भाषा इंकलाब की बोले
जीर्ण – शीर्ण वस्त्रों में रहकर
वर्षा- ताप- शीतों को सहकर
चना चबेना ले ले , भूखों रहकर…..
स्वदेश भक्ति न छोडा, प्राण भी देकर
यशगाथा वीरों की पावन, नयन नीर बहा ले….
आज मेरा मन डोले…..!
भाषा इंकलाब की बोले…….
उथल- पुथल करता मेरा मन……
ना जानें क्यों डोले
भाषा इंकलाब की बोले…….

अखंड भारत अमर रहे
वन्दे मातरम्
जय हिन्द !

कवि पं आलोक पान्डेय

Language: Hindi
Tag: गीत
1 Like · 311 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
After becoming a friend, if you do not even talk or write tw
After becoming a friend, if you do not even talk or write tw
DrLakshman Jha Parimal
Keep yourself secret
Keep yourself secret
Sakshi Tripathi
*आओ ढूॅंढें अपने नायक, अपने अमर शहीदों को (हिंदी गजल)*
*आओ ढूॅंढें अपने नायक, अपने अमर शहीदों को (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
*जीवन का आधार है बेटी,
*जीवन का आधार है बेटी,
Shashi kala vyas
समस्या का समाधान
समस्या का समाधान
Paras Nath Jha
#दोहा-
#दोहा-
*Author प्रणय प्रभात*
*।।ॐ।।*
*।।ॐ।।*
Satyaveer vaishnav
ସେହି ଫୁଲ ଠାରୁ ଅଧିକ
ସେହି ଫୁଲ ଠାରୁ ଅଧିକ
Otteri Selvakumar
परिवार
परिवार
डॉ० रोहित कौशिक
मौन संवाद
मौन संवाद
Ramswaroop Dinkar
मेरी हर आरजू में,तेरी ही ज़ुस्तज़ु है
मेरी हर आरजू में,तेरी ही ज़ुस्तज़ु है
Pramila sultan
18. कन्नौज
18. कन्नौज
Rajeev Dutta
तेरी यादों के आईने को
तेरी यादों के आईने को
Atul "Krishn"
देने के लिए मेरे पास बहुत कुछ था ,
देने के लिए मेरे पास बहुत कुछ था ,
Rohit yadav
अबोध प्रेम
अबोध प्रेम
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
कब मिलोगी मां.....
कब मिलोगी मां.....
Madhavi Srivastava
धीरज और संयम
धीरज और संयम
ओंकार मिश्र
* संवेदनाएं *
* संवेदनाएं *
surenderpal vaidya
.......
.......
शेखर सिंह
सुलगते एहसास
सुलगते एहसास
Surinder blackpen
" शिक्षक "
Pushpraj Anant
हर एक सब का हिसाब कोंन रक्खे...
हर एक सब का हिसाब कोंन रक्खे...
कवि दीपक बवेजा
2258.
2258.
Dr.Khedu Bharti
पहचान तो सबसे है हमारी,
पहचान तो सबसे है हमारी,
पूर्वार्थ
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
मैं तो महज इतिहास हूँ
मैं तो महज इतिहास हूँ
VINOD CHAUHAN
"पहचानिए"
Dr. Kishan tandon kranti
माना जिंदगी चलने का नाम है
माना जिंदगी चलने का नाम है
Dheerja Sharma
माँ
माँ
Er. Sanjay Shrivastava
दोस्त और दोस्ती
दोस्त और दोस्ती
Neeraj Agarwal
Loading...