सदियों का छल
आज भी चुभता
एकलव्य का अंगूठा!
आज भी कटता
बर्बरीक का सर!!
आज भी कर्ण को
अपमानित किया जाता!
भरी सभा में उसे
एक शूद्र पुत्र कहकर!!
आज भी चुभता
एकलव्य का अंगूठा!
आज भी कटता
बर्बरीक का सर!!
आज भी कर्ण को
अपमानित किया जाता!
भरी सभा में उसे
एक शूद्र पुत्र कहकर!!