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9 Jun 2023 · 1 min read

आज फिर

आज फिर उसी दौर से गुजर रही हूं
Aaj Fir Usi Daur se Guzr Rhi hu

आज फिर दिल मेरा आहत है बहुत
Aaj fir dil mera aahat h bahut

लिखना चाहती हूं, मगर लिख नहीं पा रही
Likhna chahti hu mgr likh nhi pa rhi

आंसू है कि थमने का नाम नहीं ले रहे
Aasu h ki thmne ka nam nhi le rhe

सजा है सबको अपना मानने की
Sja h sbko apna manne ki

जो नादान दिल ये मेरा कर बैठा है
Jo nadan dil ye mera kr baitha h

कुछ इस कद्र लोगों ने आहत किया है
Kuch is kdr logo ne aahat kiya hai

कुछ भी कहने को अब, लव्ज नहीं रहे।
Kuch bhi kehne ko ab, lavj nhi rhe.
~ Silent Eyes

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