आज दूर बसे हो घर से…।
दिल के करीब रहने वाले,
क्यों दूर रह रहे साथी,
इतने सुंदर पल को जिये हैं,
समय से क्यों बिछड़ गए ,
आज दूर बसे हो घर से…।
ऐसी क्या स्थिति बन गई,
मजबूरी आकर खड़ी हुई,
जीवन यापन करने के लिए,
दूर देश में जा नौकरी कर ली,
आज दूर बसे हो घर से…।
कब आओगे बाट जोहते सब,
तुम न आते उपहार भेजते बस,
अजनबियों में अब कैसे रहते हो ,
प्राण प्रिय माता के हो तुम ,
आज दूर बसे हो घर से…।
भाई पुकारे साथ खड़े हो,
हर पल का एहसास दिलाते,
अब नहीं दिखते हो वर्षों,
घर आंँगन सब हैं तरसते ,
आज दूर बसे हो घर से…।
खुशियाँ देने को पीड़ा सह रहे,
गली मोहल्ला बोली भाषा रह गए ,
नियम कर्तव्य के बंधन पड़ गए ,
उम्मीदों से मन भर गए ,
आज दूर बसे हो घर से…।
छोड़ जिम्मेदारी वापस आओगे ,
यूंँ ही नैना आस लगाएंँगे ,
संयम की वेदना कैसे साधे हो ,
तप कर बैठे क्या मोह तजे हो ,
आज दूर बसे हो घर से…।
रचनाकार-
बुद्ध प्रकाश
मौदहा हमीरपुर ।