आज तनहाई में जब अश्क बहाने निकले
■■■■■【 ग़ज़ल 】■■■■
आज तन्हाई में जब अश्क़ बहाने निकले
तब छुपे दर्द कई और पुराने निकले
नैट के प्यार को संजीदा समझकर पागल
होंगे बर्बाद अगर इश्क़ लड़ाने निकले
मेरे बच्चे जिन्हें स्कूल मयस्सर न हुआ
पेट की आग बुझाने को कमाने निकले
कोई बतलाये,मेरे दिल को सुकूं मिल जाये
आज वो छत पे न क्यों बाल सुखाने निकले
नोटबन्दी की सफलता में बनें हैं बाधक
बैंक बाले तो हक़ीक़त में सयाने निकले
रायता फैल गया,उसको इकट्ठा करने
सैकड़ों लोग मुलायम को मनाने निकले
प्यार में उनके”कँवल” आज बुरा हाल हुआ
अब वो हर रात मेरी नींद चुराने निकले