आज जवाहर बाग़ हमें फिर जलियावाला बाग़ लगा ।
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आज जवाहर बाग़ मुझे फिर जलियावाला बाग़ लगा ।
राम वृक्ष बन गया कंस फिर मुझे कालिया नाग लगा ।
धूं धूं करके मथुरा जलती विलख रही अंगारों में ।
यक्ष प्रश्न है …..? ये दुःसाहस कैसे हैं गद्दारों में ।
कैसे ये सब लैस हुए हैं विस्फोटक हथियारों से ।
क्या इनको इमदाद मिल रही सत्ता के गलियारों से ।
पूछ रहे खाकी के शव जो रक्खे आज चिताओं पर ।
मुकुल और संतोष के परिजन पूछ रहे नेताओं पर ।
अभी तलक सूबे का मुखिया क्यों बैठा सन्नाटे में ।
अब भी शायद वो उलझा है आज मुनाफे घाटे में ।
हमने तो है काट गिराया राम वृक्ष को खेतों में ।
सपने सभी जला डाले है हमने तपती रेतों में ।
बलि अपनी दे दी हमने अब बोली मेरी लगाओ तुम ।
दे रहा कसम हिम्मत हो तो मेरे घर तक जाओ तुम ।
भूखे बच्चे रह लेंगे पर हाथ नहीं फैलायेंगे ।
जब भी आएगा मौका वो अपना शीश कटायेंगे ।
ए वतन हमारा है हमने इसको खून से सींचा है ।
हो रही नपुंशक राजनीति तभी आज ये नींचा है ।
अगर देश की शान चाहते निकलो ए.सी. कमरों से ।
आगे बढ़कर करो फैसले मत इठलाओ भ्रमरों से ।
देखो हिंदुस्तान तरफ फिर राम कृष्ण को याद करो ।
उनकी तरह मिटा दो फिर से जो मथुरा पर दाग लगा ।
आज जवाहर बाग़ मुझे फिर जलियावाला बाग़ लगा ।
रामवृक्ष बन गया कंस फिर मुझे कालिया नाग लगा ।
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– वीर पटेल