आज के रिश्ते
आज के रिश्ते
आज के रिश्तों में, परिवार का दूर रहना,एक जरूरत बन गया है।
साथ रहकर भी, हम पास नहीं रहते,विचारों का मिलन नहीं होता,
समझ नहीं बन पाती।।
बड़े झुकते नहीं,छोटे ने झुकना सीखा ही नहीं।
चार दीवारों में कैद रिश्ते,जहाँ संस्कारों का अभाव है।
धैर्य नहीं रहा इंसान में,रिश्ते वक्त व्यवहार के लिए हैं।।
क्या साथ रहेंगे ऐसे रिश्ते?क्या टिक पाएंगे बिना संस्कारों के?
क्या बचेगा प्यार बिना धैर्य के?
हमें सोचना होगा,अपने रिश्तों को बचाने के लिए।
हमें मिलना होगा,अपने विचारों को साझा करना होगा।
हमें समझना होगा,एक दूसरे को।।
हमें झुकना होगा,रिश्तों को बचाने के लिए।
हमें संस्कारों को अपनाना होगा,रिश्तों को मजबूत बनाने के लिए।
हमें धैर्य रखना होगा,रिश्तों को निभाने के लिए।।
तभी हम अपने रिश्तों को बचा पाएंगे,
तभी हम एक खुशहाल परिवार बना पाएंगे।।