आज के रिश्ते हुए हैं रोडलाइट (नवगीत)
नवगीत_8
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आज के रिश्ते
हुए हैं रोड लाइट ।
व्यस्त निजता में यहाँ इंसान साये के
स्वार्थ उपजा जल गए रिस्ते किराये के
हो गए हैं पास
तारों से पहुँच से दूर सब
खा गई अपनत्व
वैरी बेबसाइट ।
भाव के प्रहार से दिल टूट जाता है
हाशिये पर दर्द से रोती मनुजता है
सुप्त चिंताएं
हुई है नीम की पत्ती
लोग अच्छे हैं
मगर है स्वाद टाइट ।
आदतें हावी हुई हैं हाथ मलने की
चेंज होती जा रही प्रवृत्ति छलने की
लोग जैसे हो गए हैं
खेत के ढेले
गर्दिशों में गल गये
ले पौष्टिक डाइट ।
रकमिश सुल्तानपुरी