आज के युवा
आज कल के युवा ,
गम के तराने नहीं गाते ।
दिल टूट जाए तो ,
तन्हाई में जाकर नहीं रोते।
ना ही देते है किसी ,
बेवफा को बददुआ,
और जहां वालों को भी ,
नहीं कोसते हैं।
उन्हें नहीं समाज की परवाह ,
तो इसीलिए उसके रस्मों रिवाजों ,
को भी नहीं देते दुहाई ।
जमाना बदल गया है जी !
बहुत आगे निकल गया जी ।
अब जो छोड़कर चला गया,
उसके लिए रो रो कर उम्र ,
गुजारने से क्या फायदा ?
बैठे बैठे नसीब को भी कोसने से,
क्या फायदा ?
जमाना है माज़ी को भुलाकर
आगे की और कदम बढ़ाने का ।
तो मुहोबत,इश्क ,तड़प सब,
बेकार की बातें है ।
इसीलिए वोह नहीं तो कोई और सही ,
आज के युवा तमाम उम्र किसी ,
का इंतजार नहीं करते ।
यहां आज कल इंस्टेंट का जमाना है ,
समय कहां है किसी के पास ?
इसीलिए लिबास की तरह ,
महबूबा / महबूब बदलने का चलन है ।
यह तो वो जमाना है साहब ,
जहां रिश्ता टूट जाने पर ,
ब्रेक अप पार्टी देने का चलन है।
क्या करें साहब !यह आज के युवाओं
का चलन है ।