आज के माहौल में
आज के माहौल में, आदमी खुश नहीं हर हाल में
फंस कर आधुनिक जाल में,दुखी तीनों काल में
क्यों वे बजह दुखी हो रहा है, आनंद और प्रसन्नता खो रहा है?
मिला है सीमित समय, व्यर्थ ही क्यों खो रहा है?
जो आया है जीवन में,सब निकल जाएगा
सुख हो या दुख हो,सब ढल जाएगा
जिंदगी में गम बहुत हैं, खुशियां हैं कम
नहीं ठहर सकता, कोई भी हरदम
हंसते रहें मुस्कराते रहें, आनंद के पल चुराते रहें
राम का नाम दिल में, गुनगुनाते रहें
आनंद के पल व्यर्थ न जाएं निकल
आनंद हो हर घड़ी और पल
अनमोल नर तन,जब होगा सफल
सुरेश कुमार चतुर्वेदी