अब तो ख्वाबों में आना छोड़ दो
इन आँखों में इतनी सी नमी रह गई।
कुछ कदम मैं चलूँ, कुछ दूरियां तुम मिटा देना,
■ नेक सलाह। स्वधर्मियों के लिए। बाक़ी अपने मालिक को याद करें।
उत्तर बिहार अर्थात मिथिला राज्य: पुनर्गठन।
सपने तेरे है तो संघर्ष करना होगा
रक्त दान के लाभ पर दोहे.
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
क्या होता है क़ाफ़िया ,कहते किसे रदीफ़.
#ਦੋਸਤ
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
मैं इन्सान हूँ यही तो बस मेरा गुनाह है
कविता तो कैमरे से भी की जाती है, पर विरले छायाकार ही यह हुनर
उनके दामन से आती है खुश्बू सूकुन की.
मुश्किलों से हरगिज़ ना घबराना *श
जिन्दगी जीना बहुत ही आसान है...
मैं तेरे दर्पण की छाया हूँ