Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Jun 2023 · 1 min read

आज की सुबह

आज की सुबह की
खिड़की पर
मायूसी छा रही है किसी
कोहरे की धुंध की तरह
पोंछ दे
कोई आज की सुबह का उगता
नया सूरज
अपने हाथों की नरमी से
इसे
दिनभर प्यार की गर्म
सांसों से हौले हौले
सहलाते हुए
तो कुछ बात बने
एक मायूस बंदे का
दिन बन जाये
उसे भी जिन्दगी जीने का
कोई ख्वाब मिले
रात की रात को
सोचेंगे
दिन भर जीने का तो
कोई एक प्यार भरे
अहसास का
सामान मिले।

मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001

Language: Hindi
124 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Minal Aggarwal
View all
You may also like:
आज के दौर
आज के दौर
$úDhÁ MãÚ₹Yá
यह गलतफहमी कभी नहीं पालता कि,
यह गलतफहमी कभी नहीं पालता कि,
Jogendar singh
शे’र/ MUSAFIR BAITHA
शे’र/ MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
*सड़क छोड़ो, दरवाजे बनवाओ (हास्य व्यंग्य)*
*सड़क छोड़ो, दरवाजे बनवाओ (हास्य व्यंग्य)*
Ravi Prakash
Safeguarding Against Cyber Threats: Vital Cybersecurity Measures for Preventing Data Theft and Contemplated Fraud
Safeguarding Against Cyber Threats: Vital Cybersecurity Measures for Preventing Data Theft and Contemplated Fraud
Shyam Sundar Subramanian
विवशता
विवशता
आशा शैली
लिखू आ लोक सँ जुड़ब सीखू, परंच याद रहय कखनो किनको आहत नहिं कर
लिखू आ लोक सँ जुड़ब सीखू, परंच याद रहय कखनो किनको आहत नहिं कर
DrLakshman Jha Parimal
बहुत से लोग आएंगे तेरी महफ़िल में पर
बहुत से लोग आएंगे तेरी महफ़िल में पर "कश्यप"।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
3318.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3318.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
*अज्ञानी की कलम*
*अज्ञानी की कलम*
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी
हिन्दीग़ज़ल में कितनी ग़ज़ल? -रमेशराज
हिन्दीग़ज़ल में कितनी ग़ज़ल? -रमेशराज
कवि रमेशराज
जब तू मिलती है
जब तू मिलती है
gurudeenverma198
"चलो जी लें आज"
Radha Iyer Rads/राधा अय्यर 'कस्तूरी'
वाचाल पौधा।
वाचाल पौधा।
Rj Anand Prajapati
पाला जाता घरों में, वफादार है श्वान।
पाला जाता घरों में, वफादार है श्वान।
महेश चन्द्र त्रिपाठी
क्या पता है तुम्हें
क्या पता है तुम्हें
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
अक्सर यूं कहते हैं लोग
अक्सर यूं कहते हैं लोग
Harminder Kaur
मां ब्रह्मचारिणी
मां ब्रह्मचारिणी
Mukesh Kumar Sonkar
जब तक हो तन में प्राण
जब तक हो तन में प्राण
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
■ आलेख
■ आलेख
*Author प्रणय प्रभात*
नाद अनहद
नाद अनहद
Dr.Pratibha Prakash
प्रारब्ध भोगना है,
प्रारब्ध भोगना है,
Sanjay ' शून्य'
*आँखों से  ना  दूर होती*
*आँखों से ना दूर होती*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
तुम तो ख़ामोशियां
तुम तो ख़ामोशियां
Dr fauzia Naseem shad
"बहनों के संग बीता बचपन"
Ekta chitrangini
हाइकु- शरद पूर्णिमा
हाइकु- शरद पूर्णिमा
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
अपने अपने युद्ध।
अपने अपने युद्ध।
Lokesh Singh
सदा प्रसन्न रहें जीवन में, ईश्वर का हो साथ।
सदा प्रसन्न रहें जीवन में, ईश्वर का हो साथ।
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
"सोचो"
Dr. Kishan tandon kranti
आह और वाह
आह और वाह
ओनिका सेतिया 'अनु '
Loading...