आज की राजनीति (व्यंग)
आज की राजनीति
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दलित दलित का खेल चल रहा,
नेता उनसे से मेल चल ,
तिकड़म चुनावी झेल चल रहा,
समझ गये सरकार।
वोट नोट की यह तैयारी,
प्रजातंत्र को लगी बिमारी,
मुश्किल में प्रजा की सवारी,
मुश्किल में उद्धार।
हिन्दू मुस्लिम कभी लड़ाई,
कभी दलित घर भोजन भाई,
सब मिल खोद रहे है खाई,
यहीं हाल हरबार।
हाथ जोड़ कर मत ये लेते,
जीत गये फिर कुछ ना देते,
जनता फिर अपना खुद चेते,
यह जनता की चित्कार।
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✍ ✍ पं.संजीव शुक्ल “सचिन”