आज का सूरत-ए-हाल
परीक्षा के पर्चें लीक हो रहे खुलेआम बाजारों में
चोर मूंछें ताने बैठें है आज की सरकारों में
नोट फेंक कर वोट खरीदते इनको देखा जाता है
मुफ्त की रेवड़ियों का लालच फेंका जाता है
जिसके पास पैसा है वो नौकरी ले जाता है
भर्ती आने से पहले अफसर भाव लगाता है
धांधली की खबर भी कोने में छपती अखबारों में
विद्यार्थी बेबस लाचार खड़ा है नौकरी की कतारों में
परीक्षा के पर्चें लीक हो रहे खुलेआम बाजारों में……..
चोर-चोर मौसेरे भाई का मुहावरा सच साबित हो जाता है
हाथ में पेपर होने पर भी उसे गलत बताया जाता है
अपराधी गर पकड़ा भी जाता तो कब रहता है जेलों में
मंत्री आकर स्वयं छुड़ाता उसको पल भर की देरों में
सुबूत गवाह हजारों हो कोर्ट तारिखें देती रहती है
सरकार की ग़लती को भी वो सही कहती रहती है
हो योग्यताएं कितनी भी नोटों के आगे बेकार है
इस धांधली के लिए जिम्मेदार अफसर और सरकार है
छात्र हाथों में साइकिल लेकर भटक रहे हैं गलियों में
कोचिंग वाले नोट छापते मौज उड़ाते कारों में
परीक्षा के पर्चें लीक हो रहे खुलेआम बाजारों में……..
डिग्रीधारक जो घर बैठे हैं उन्हें लोग कहते हैं बेकार
हजारों नियुक्तियां रोज हो रही,ऐसा कहते है अखबार
जिनका काम सिर्फ फाइलों में और प्रचार चहुं ओर
ऐसे कर्मठ,कर्मशील लोगों को,हम कहते हैं सरकार
हाथ जोड़ एक निवेदन आज हर विद्यार्थी करता है
मुफ्त राशन,बिजली,पानी के लिए नहीं कभी वो अड़ता है
उसका जीवन टिका हुआ है नौकरी और रोजगारों में
परीक्षा के पर्चें लीक हो रहे खुलेआम बाजारों में……..।।