” आज का रावण…. चतुर – चालक “
आज का रावण भी शिक्षित है
आज का रावण अमर्यादित भी
आज का रावण भी अहंकारी
ये सर्वज्ञ जगत को विदित भी ,
लेकिन वो रावण अमर्यादित होकर भी
हमेशा मर्यादा के अंदर रहा
यही बात आज और कल के रावण में
सबसे बड़ा अंतर रहा ,
वो रावण बनना आसान नही है
अपनी विद्वानता से पूजा जा सकता था
पूज्यनीय होकर उसको मुक्ति मिलती कैसे
फिर प्रभु के हाथों वो नही मारा जा सकता था ,
उस रावण को राम नही बनना था
उसे सदा रावण ही रहना था
अपने कृत्यों की सजा पाकर
प्रभु के चरणों में गिरना था ,
आज का रावण हद से ज्यादा अमर्यादित है
हर मर्यादा को तोड़ा उसने
अपने ताक़त के बल पर
किसी को भी नही छोड़ा उसने ,
आज का रावण बनना बड़ा आसान है
ना तप करना ना तपस्या करनी
धन ताक़त के बल पर
हर एक के लिए समस्या करनी ,
आज का रावण बड़ा चतुर – चालक है
चेहरे पर मुखौटा राम का पहन
सबकी आँखों में धूल झोंक
करता है भूतकाल के रावण का दहन ,
आज के रावण को तो कर्म
उस रावण से भी बुरा करना है
बस कैसे भी करके इसको
सबकी नज़रों में राम बने रहना है ,
आज का रावण असली रावण से भी बुरा है
क्योंकि ये तो दोहरा चरित्र जीता है
जहाँ होना चाहिए इसको दहन
वहाँ ये काटता उद्घाटनों का फीता है ।
स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा , 25/10/2020 )