आज का इतिहास
यहाँ इतिहास हैं
सब कुछ दफन है
सिवाय इसके कि लेखन को केवल मूर्तियों और कंकालों के रूप में लिया जा रहा है….
नया इतिहास
कुछ भी नहीं लिखा है
इसलिए…
आज की खबर
कल के विज्ञापनों के अलावा
इतिहास जैसा कुछ भी नहीं
यहाँ
बड़ी मुहर
मुक्का नहीं मारा जा रहा…
भले ही इसने इतिहास बना दिया हो
बिलकुल पुराना
कल्पना के रूप में
यह बस वहीं हो रहा है
आज का नया
कई इतिहास के अवशेष…
+ ओत्तेरी सेल्वा कुमार