आज का इंसान
जीवन है भगवान की देन,
मनुष्य तो कठपुतली है ।
फिर भी कितना घमंडी है ,
आज का इंसान ।
गर्भ से बाहर आने के लिए,
मांगी थी हजारों मन्नतें ।
बाहर आया गर्भ से तो कहने,
लगा क्या है भगवान ।
क्या यही है आज इंसान।
बचपन में मां पिता का,
प्यार मिला तो बोला करूंगा,
हमेशा आपका सम्मान ।
बड़ा हुआ बोला कौन है आप।
क्या यही है आज का इंसान।